Friday, January 15, 2010

वज्रपात

नभ को चूमती पहाड़ियों के बीच
बसा एक गाँव
गाँव के बीचो बीच है
उस गाँव का केंद्र बिन्दु
वोह विशाल पोखर!

उन्मुक्त बालकों का क्रीड़ास्थल है- वोह पोखर
रूमानी युवाओं का प्रणय स्थल है- वोह पोखर
विद्यार्थीयों की पाठशाला भी वहीं , कन्दूकेन का मैदान भी वहीं,
व्रीधों का चौपाल भी वहीं,अबलाओं का शिव मंदिर भी वहीं ,
साप्ताहीक हाट भी वहीं, वार्षिक दंगल भी वहीं,
लहलहाती फसलों की जान वोह पोखर
गाँव की आन वोह पोखर, गाँव की शान वोह पोखर

आज की सर्द सुबह ,
यकायक , वोह पोखर सूख गया !

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