Tuesday, January 12, 2010

जानो मुझको

चाह कर भी शब्दों में ढाल न सकोगी , शब्द नहीं एहसास हूँ मैं
मंदिर के घंटों में मैं ,मस्जिद के अजान में मैं,
चाहत की पुकार में मैं, युद्ध के ललकार में मैं,
जानों कैसी ललकार हूँ मैं, बूझो कैसी पुकार हूँ मैं !
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मदिरालय के प्यालों में मैं , लंगर के थालों में मैं,
महलों के बिस्कूट में मैं, झोपर के रोटी प्याज में मैं ,
जानों कैसा स्वाद हूँ मैं , बूझो कैसा स्वाद हूँ मैं!
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महुआ के रस में भी मैं ,लंगर के थालों में भी मैं
सत्यनारायण के पंचामृत में, जानों कैसा खुमार हूँ मैं !
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साकी की चूरी की khun khun , या हो कोठे पे पायल की झंकार ,
माँ दुर्गे की तलवार की थिरकन या हो राम धनुष की टंकार
जानों कैसा झंकार हूँ मैं, boojho कैसा टंकार हूँ मैं !
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पाक राखी के डोरे हों या हो युवा प्रेम की ज्वाला
मैं हूँ मात्री प्रेम के रस से भीघी हुई एक काया
जानों कैसा प्यार हूँ मैं॥ भूझो कैसा प्यार हूँ मैं!!
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jaith दिवाकर की किरने हों ,या हो जठराग्नि कालाहांडी की,
pokhrun के baaroodon में भी, जानों कैसा अंगार हूँ मैं, बूझो कैसा अंगार हूँ मैं!!
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सुरमई छंदों को सुर देने वाला, लैबध गीतों को लेएय देने वाला ,
सुन्दरता को सुन्दर करने वाला,
जीवीत को मैं जीवन देने वाला ,
जानों कैसा फनकार हूँ मैं, बूझो कैसा फनकार हूँ मैं!
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दुख में भी मैं हंसने वाला, सूख में भी मैं रोने वाला
फकीरी में भी लूटआऊँ मैं
जानों कैसा दिलदार हूँ मैं, बूझो कैसा दिलदार हूँ मैं!
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अब तक ना बूझी, तो जान न सकोगी
garjoonga तो घबराओएगी
barsoonga तो भीगोगी
बाहूपाश में आने पे जाणोगी
जलन नहीं स्पंदन हूँ मैं
अर्थ नहीं, स्नेहिल एहसास हूँ मैं,
दूस्वपन नहीं , मधुर याद हूँ मैं!
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