Saturday, October 26, 2013

केसरिया ललकार!

केसरिया ललकार

 
युध् बिगुल बजा कर तुम , अब पीठ नहीं दीखा सकते

तलवारों की टंकार सुना कर तुम, अब म्यान नहीं सजा सकते

पीछेय से बाण चला कर तुम,  अब रन्न से आंख चुरा नहीं सकते

शांती पैगाम ठुकरा कर तुम , अब शेहनाई तान छेद नहीं सकते

अए , दिल्ली के शेहज़ादों , बहुत हो चुकी तुम्हारी बारी

इस बार करो पूर्ण पराजय की तैयारी !!

  

पोखरन के गूँजों को कर्कश विस्फोट कहा था तुमने

लाहौर की शांती यात्रा को हास्यास्पद सजा था तुमने

वसुंधरा से सोना उपजाने वालों को खूब ठगा तुमने

हल की हूंकार बूझा , रणवीर पैदा किये तुमने

ना चूकएयगा जनमानस इस बार, हैं खूब सपने दिखाये तुमने

इस बार की तुम्हारी ललकार, तुम्हारे सर्वनाश का द्योतक है ,

अए दिल्ली के शेहज़ादों , बहुत हो चुकी तुम्हारी बारी

इस बार करो पूर्ण पराजय की तैयारी !!

  
हम शांती के अग्रदूत, राष्ट्र का विनाश नहीं चाहते

तुम सत्ता के भूखे, बिना सिंहासन जी नहीं पाते

तुम क्या राम राज्य बनाओगे

१३ महीने का वनवास सहन नहीं कर पाते

हमने युध् नहीं चाहा था, शकुनि बन महाभारत तुमने हीं मांगा है

युध् ललकार सुनने के बाद, हम भी युध् विराम नहीं चाहते

अए , दिल्ली के शेहज़ादों , बहुत हो चुकी तुम्हारी बारी

इस बार करो पूर्ण पराजय की तैयारी !!

 
हम दंभ नहीं भरा करते, सत्य का आभास करते हैं

समय है अनभिग्य ना बनो, कर लो रन्न की तैयारी

जाओ, रोम में फौजें ढूंड आओ, जो पर जायें सौ करोड़ पे भारी

मिथ्या जगत में मत विचरो, नस नस में बहती है लहर सत्य की

बोफोर्स भी घबरायेगा , परशुराम की धनूरटनकारों से

" रोम"- व्योम" हिल जायेगा

स्विस बॅंक से आयातित कवच कुंडल भी अर्जुन के

बाणों से बींध जायेगा

हमें खेद होगा, तुम्हारे सौ वर्षों का काल

इतिहास बन जायेगा!!

तुम्हारी युध् विद्या पे ह्यूम भी कब्र  में तड़प तड़प जायेगा

 
इस बार कलयुग में द्वापर वाला रन्न होगा

ओह, तुम्हारा अंत बड़ा हीं नृशणष् होगा

अए , दिल्ली के शेहज़ादों , बहुत हो चुकी तुम्हारी बारी

इस बार करो पूर्ण पराजय की तैयारी !!

शुभ आशीष

प्यारी पोती राभ्या के पंचम जन्मोत्सव पर उध्भाषित स्नेहिल -" शुभ आशीष "


जन्म जयंती राभ्या तुम्हारी

तू छोटी पोती हमारी

तुम सा बेटी पाकर

आस्था- रोहित बलिहारी

लो, शुभाशीष हमारी!

 

कोयल सी तू

कूह कूह करती

तुम हो- कुल तितली न्यारी

लो, शुभाशीष हमारी!

 

स्वस्थ रहो

सानन्द रहो तुम

भैया रूद्र की बहना प्यारी

लो,शुभाशीष हमारी!

 

तू- सबकी प्यारी

तू- मम्मी पापा की दुलारी 

तू- नाम करेगी

बनेगी ऐतिहासिक सुन्दर नारी

लो, शुभाशीष हमारी!

 

सस्नेह - बाबा दादी

२८थ अगस्त २०१३, आक्रा 

To the Most Beloved Sid!

To the most beloved Sid........


अब तो तू ...और भी सताएगा

 

IRMA H block  अब हंटर  कैसे कहलायेगा 

गुलाम का "मुन्ना" कह मुझे कौन "पकिया" बुलाएगा

अँधेरी रातों में , धीरे से उरिया तान कौन छेर जायेगा

बासी चिकन चावल का नशा अब कौन समझाएगा

ओल्ड मोंक के संग- "तू असली भाई है"- उस प्यार से कौन बोल जायेगा

कालर को उठा के , ishtyle में सिगरेट कौन लाइट कर पायेगा

होठों को कर के राउंड , सुरुली सीटी कौन बजाएगा

 

बंधू... जा कर अब तू, और भी सताएगा

अब और भी सताएगा..

 

डांस फ्लोर पे अब कौन संग ठुमके लगाएगा

वाइट शर्ट/ ब्लू जीन्स कॉम्बो को अब कौन haute  coutoure  कह जायेगा

भोलेपन के शेह्ज़ादे.. अब हर लड़की के दिल ,कौन भा जायेगा

पार्क स्ट्रीट पे पुलिस जिप्सी से रेसअब कौन लगाएगा

बारिश बीच, ट्रैफिक रोक, रोड पे sallu डांस ,अब कौन कर पायेगा..

NGO से MLA बनने की नसीहत अब कौन दे जायेगा

 

पगले... जा कर अब तू, और भी सताएगा

अब और भी सताएगा...

 

हमसफ़र था और आज भी है ...

तेरी सादगी , तेरा भोलापन .. आज भी है..

तेरी मृदु आवाज ..  आज भी है

इंसानियत को इंसान बना दे तू..

हमें तुझ पे बेहद नाज़ .. आज भी है

दिल की म्यूजिक का सतरंगी साज़ तू .. आज भी है

आज भी है..

 

फिर भी प्यारे

जा कर अब तू , और भी सताएगा

अब और भी सताएगा...