दौड़
आज मैं उस दौड़ में शामिल हूँ
जो कब शुरू हुई पता हीँ न चला
कल रात जब सोया था
बडे चैन से सोया था
सुबह होने पे खुद खो बेचैन पाया, शायद थोडा व्यग्र भी
खुच माहौल में चिल्ल पों , साथियों की buck उप की आवाजें
और शायद मन में खुछ कर गुजरने की इक्छा
पलक झपकते हीँ ,शायद मैं उस दौड़ में शामिल था !
आज मैं अकेला सोया हूँ
सुकून और शांति हम बिस्तर होने की बात मुस्कुरा कर टाल गयीं
उनका कहना है- मै किसी गुप्त रोग से पीड़ित हूँ!
हकीम का कहना है - यह मर्ज़ हीं लाइलाज है
बशर्ते की ये दौड़ ख़त्म हो!
ये दौड़ कब ख़त्म होगी....
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